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kumbh mela-what is kumbh mela|facts about the kumbh mela

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kumbh mela

कुम्भ मेला(kumbh mela), भारत के कोने कोने से करोड़ो की संख्या मे लोग आते है| विभिन्य भेषभुषाये , विभिन्य संस्कृति विभिन्य सम्प्रदाय लेकिन असंख्य विभिन्यताओ के बीच भी एक आदरभूत सत्य की खोज ऐसा दृस्य आपको सिर्फ कुम्भ मेला को देखने को मिलेगा|
पृथ्वी पर होने वाला सबसे बड़ा आयोजन कुम्भ मेला है .भारत के दिल मे झांकने का एक झरोखा है | .कुम्भ मेला आनद का उत्सव है| समस्त दुखो एवम चिन्ताओ से मुक्त होकर जीवन की मधुरता को पाने का एक अवसर है. कण- कण मे दिव्यता का अनुभव करवाने वाला ये मेला मानव जीवन का महोत्सव है|

what is kumbh mela

कुम्भ मेला मुख्य रूप से संतो एवं सन्यासियों का मेला है. देशभर के साधु -संतो की टोलिया अपने अखाड़ों एवं सम्प्रदाओ के नीचे डेरा जमाती है. जंगलो पर्वतो,ग़ुफाओ कंधराऊ,आश्रम मे रहने वाले अवं अखाड़ों मे संगठन संभालने वाले सभी प्रकार के साधु संत बिना किसी आमंत्रण के कुम्भ पर अवसर मानाने एकत्रित होते है.

सर्वप्रथम कुम्भ मेला मे स्नान की शुरुआत नागा साधुओ से होती है | ऐसे मान्यता है जब तक नागा साधु इसमें स्नान नहीं कर लेते तब तक कोई अन्य इसके जल मे प्रवेश नहीं  कर सकता.

अगर बात करी जाये परम्परागत रूप से यह साधु संतो का प्रमुख रूप से एक त्यौहार है. साधु संत जो देश के विभिन्य भागो मे निवास करते है. उस समय उनके पास सेलफोन नहीं होते थे उनके पास आपस मे जुड़ने का कोई साधन नहीं होता था. तब ये लोग कुम्भ मेला के माध्यम से मिलते थे.

कुम्भ मेला आज से लगभग 850 साल पुराना है. ऐसा माना जाता है इस पवित्र मेला की शुरुआत की थी.लेकिन कथाओ के अनुसार इसकी शुरुआत समुद्र मंथन से हुए थी.

kumbh places

समुद्र मंथन में निकले अमृत का कलश हरिद्वार, इलाहबाद, उज्जैन और नासिक के स्थानों पर ही गिरा था, इसीलिए इन चार स्थानों पर ही कुंभ मेला हर तीन बरस बाद लगता है। 12 साल बाद यह मेला अपने पहले स्थान पर वापस पहुंचता है।

Where is Kumbh Mela 2019?

अल्लाहाबाद( जिसे आज हम प्रयागराज के नाम से जानते है ) .अर्ध कुम्भ मेला, 2019 इस बार अल्लाहाबाद(prayajraj) त्रिवेणी संगम, उत्तर प्रदेश मे होगा

Where is Kumbh Mela 2025?

नियम के अनुसार प्रयाग महाकुंभ मेला प्रयागराज(prayagraj) यहां 2025 में लगेगा।

राशि और ग्रहो का क्या सम्बन्ध है कुम्भ मेला से

कुंभ के लिए कुछ नियम निर्धारित किये गए हैं उसके अनुसार प्रयाग में कुंभ तब लगता है जब माघ अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्रमा मकर राशि में होते हैं और गुरू मेष राशि में होता है। यह संयोग वर्ष 2013 में 20 फरवरी को हुआ था । 1989, 2001, 2013 के बाद अब अगला महाकुंभ मेला यहां 2025 में लगेगा।

kumbh mela

what is the History of kumbh mela

कुंभ के आयोजन में नवग्रहों (9 planets) में से सूर्य, चंद्र, गुरु और शनि की भूमिका महत्वपूर्ण मानी गयी है। इसलिए इन्हीं ग्रहों की विशेष स्थिति में कुंभ का आयोजन होता है। जब सागर मंथन से अमृत कलश प्राप्त हुआ तब अमृत घट को लेकर देवताओं और असुरों में लड़ाई शुरू हो गयी।
अमृत की खींचा तानी के बीच चन्द्रमा ने अमृत को बहने से बचाया। गुरू ने कलश को छुपा कर रखा दिया था । सूर्य देव ने कलश को फूटने से बचाया और शनि ने इन्द्र के कोप से कलश की रक्षा की। ऐसा बताया गया है जब इन ग्रहों का संयोग एक राशि में होता है तब कुंभ का अयोजन होता है। इन चार ग्रहों के सहयोग से अमृत की रक्षा हुई थी।
ऐसे में अमृत कलश से छलक कर अमृत की बूंद जहां पर गिरी वहां पर कुंभ का आयोजन किया गया।

How many Kumbh Mela are there in India?

सामान्य कुंभ मेला हर तीन साल बाद आयोजित किया जाता है; अर्ध कुंभ हरिद्वार और इलाहाबाद (प्रयाग) में हर छह साल मे आयोजित करते हैं, जबकि महा कुंभ मेला ग्रह के आधार पर प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक के चार स्थानों पर हर दोहरे स्थान पर होते हैं।

 

कब कब लगता है कुम्भ मेला

कुम्भ मेला 12 वर्ष नहीं हर तीसरे वर्ष लगता है कुंभ मेला| गुरू एक राशि लगभग एक वर्ष के लिए रहता है। यह बारह राशि में भ्रमण करते हुए 12 वर्ष का समय लगता है।हर बारह साल बाद फिर से उसी स्थान पर कुंभ का आयोजन किया जाता है। कुंभ के लिए निर्धारित चार स्थानों में अलग-अलग स्थान पर हर तीसरे वर्ष कुंभ का अयोजन होता है। कुंभ के लिए निर्धारित चारों स्थानों में प्रयाग के कुंभ का विशेष महत्व है। हर 144 वर्ष बाद यहां महाकुंभ का आयोजन होता है।

महाकुंभ के संबंध में क्या है मान्यता

शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि पृथ्वी का एक वर्ष देवताओं का दिन होता है, इसलिए हर बारह वर्ष पर एक स्थान पर पुनः कुंभ का आयोजन होता है। देवताओं का बारह वर्ष पृथ्वी लोक के 144 वर्ष के बाद आता है। ऐसी मान्यता है कि 144 वर्ष के बाद स्वर्ग में भी कुंभ का आयोजन होता है इसलिए उस वर्ष पृथ्वी पर महाकुंभ का अयोजन होता है। महाकुंभ के लिए निर्धारित स्थान प्रयाग को माना गया है।

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